Monday, 27 February 2023

Child Psychology

 

CHILD 



PSYCHOLOGY






Growth (वृध्दि) & Development (विकास)


Growth (वृध्दि)

एक सीमा तक जाएगा उसके बाद रूक जाएगा य़ा कम हो जाएगा।

Quantitative

जैसे - Height, Weight etc


It has Narrow Domain.

It is included in Development. Means it is the part of Development.


Development (विकास)

विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो सतत् चलती है तथा

 जिसमें गुणगत्मक परिवर्तन तथा परिमाणात्मक

(मात्रात्मक) परिवर्तन दोनों सम्मिलित रहते हैं।

  • It is structural.

  • Quantitative & Qualitative.

  • Functional, Assessment

  • It has Broad Domain.

  • It is continuous process.

  • Development is a lifelong process.

  • Goes from conception to death means womb to tomb

  • It is systematic, progressive and orderly.

  • Simple to complex.

  • Multi directional.

  • Not always constant.

  • Changes are relatively stable.

  • Development is contextual.

  • Individual differences are there.

  • Modifiable/Changeable.

  • It is Irreversible in nature.


Development Aspects(विकास के पहलू):-

  1. Physical (शारीरिक)

  2. Cognitive (संज्ञानात्मक)

  3. Social (सामाजिक)

  4. Emotional (सांवेगिक)

These aspects are interrelated.


Physical (शारीरिक)


Motor


Gross motor 

(स्थूल गतिक) (सूक्ष्म)


दौड़ना, कूदना

बड़ी muscle का कार्य़ छोटी muscle का कार्य़



Fine motor

 लिखनाड्राइंग करना


जैसे - जब एक बाॅलर बाॅल डालता है तो वह द़ौड़ (gross motor skill)

कर आता है और बाॅल को अंगूलियों (fine motor skill) के सहारे

 घुमाकर फैंकेगा।


Stages of Child Development(बाल विकास के चरण):-

  1. Prenatal Period (गर्भावस्था) [0-9 months]

  2. Infancy (शैशवास्था) [0-2 years]

Rapid Growth, Physical development


   3. Childhood (बाल्यावस्था) [2-11years]

  • Early Childhood (पूर्वबालयावस्था) [2-6 years]

  • Later Childhood (उतरबालयावस्था)[7-11years]


  • Gang age,



    Language development (भाषा विकास


    4.  Adolscence (किशोरावस्था) [13-19]

Identity crisis, Golden period, Active member of group, Lack of 

 emotional stability, Leadership


(Stress & Storm Age) तनाव और तूफान की अवस्था – By Stanley

 Hall


Principles of Development:-

1.Principle of Continuity (निरंतरता का सिध्दांत)

गर्भ से कब्र तक (From Womb to Tomb)


2. Principle of Individual Differences (व्यक्तिगत

 विभिन्नताएं)

differences varies from person to person

Intelligence, Interest, Values, Aptitude


3. Principle of uniformity/ Sequential (क्रमबध्दता)

    Stepwise things are happen (बैठना, कूरना, खड़े होना, चलना)



    4. Principle of Integration (एकीकरण)

    Stability on each part of the body

    एक साथ सभी अंगों पर नियंत्रण आ जाना।

    Just like Driving

    5. Principle of Prediction(अनुमान लगाना)

    बचपन में ही बच्चे के लक्षणों को देखकर अनुमान लगाना।

    बच्चा जल्दी बोलने लग जाएगा तो बोलेंगे कि ये बड़ा होकर तेज होगा।


    6. Principle of Direction(दिशा का सिध्दांत)

      Sensory _ Concrete _ Abstract



Heredity And Environment (आनुवांशिकता और पर्यावरण)


Heredity आनुवांशिकता

Colour of eyes

Height

Hair colour

Blood Group etc.

Fixed/ Not Changeable

Environment पर्यावरण

Dynamic

Shift one place to another.

It means I live in Himachal Pradesh but after some days I can change my place to other place like Rajasthan.

It is changed.


Woodberth (वु़डवर्थ) says

Development is product of Heredity and Environment.







Socialisation (समाजीकरण)


Child Adopt – Norms, Values, Rule of the Society.


Primary Socialisation (प्राथमिक)

Family


Secondary Socialisation(गौण)

School, Friends


Agents of Socialisation

Family, School, Media


  1. Formal(औपचारिक)

    Regular School, Collages

  2. Informal(अनौपचारिक)

    Family, Friends

  3. Non-Formal(गैर-औपचारिक)

    IGNOU, ICDEOL, NIOS


Gender (लिंग)

समाज द्वारा निर्धारित

  1. Gender Stereotype(लैंगिक रूढ़िवादिता)

    समाज ने निर्धारित कर दिया कि लड़कियाँ सिर्फ यहीं काम कर सकती है।


  1. Gender Bias (लिंग भेद)

Break the


  1. Gender Pairity (लैंगिक समानता)

  2. Gender Neutral (तटस्थता)

Sex

Biological Concept according to there physical body.


Intelligence (बुध्दि)

बुद्धि लब्धि

मानसिक आयु (Mental age) व शारीरिक आयु (Chronological age) में अनुपात को बुद्धि लब्धि (intelligence quotient) सूत्र कहा जाता है जिसे कहा जाता है। इसके अनुसार-

IQ (बुध्दिलब्धि)= MA/CA *100

बुद्धि परीक्षण का उपयोग बुद्धि को मापने में किया जाता है। इसे बुद्धिमापनी भी कहा जाता है। बुद्धि परीक्षण का जनक (Father of intelligence test) बिने को कहा जाता है।

MA= mental age

मानसिक आयु

यह बालक की बुद्धि से संबंधित एक अवधारणा है। जो किसी विशिष्ट व्यक्ति, एक विशिष्ट आयु में, बौद्धिक रूप से प्रदर्शन करता है। इसका विचार 1908 में अल्फ्रेड बिने दे दिया था।


CA= Chronological / biological age

शारीरिक आयु

यह किसी व्यक्ति के जीवित रहने के वर्षों की संख्या है। इसे कालानुक्रमिक आयु भी कहा जा सकता है।

Concept of Mental Age Given By Alfred Biney.

IQ Concept

given by – William Stern (1912)

Modification – Terman (1920)


लुईस टर्मन (Lewis terman) के द्वारा किया गया IQ वर्गीकरण


Two Factor Theory of Intelligence –

General Intelligence Specific Intelligence

Given By Spereman

Triarchic Theory of Intelligence

Practical Analytical

Creative

Given By – Robert Sternberg

  1. Practical Intelligence –

Example: Street smart boy like plumber, Belder, and working people.

  1. Creative Intelligence –

New creating Ability

  1. Analytical Intelligence –

Learning by Analysis

Multiple Intelligence Theory

Given By Howard Gardner

  1. Verbal Linguistic(मौखिक भाषाई)

One who have good Language verbal like reporter



  1. Logical Mathematical(तार्किक गणितीय)

Scientist, Mathematician



  1. Musical Intelligence

Singer, Music composer, Music editor etc.



  1. Bodily Kinesthetic(शारीरिक काइनेस्थेटिक)

Virat Kohli like sports persons,

  1. Spatial Intelligence(स्थानिक खुफिया)

Space related – architecture, Painter, etc.



  1. Interpersonal(अंतर्संबंध-विषयक्)

अच्छा बोलना – LIC agent, Shopkeeper, etc.

  1. Intrapersonal

Satguru – understanding ownself completely



  1.   Natural Intelligence(प्राकृतिक खुफिया)

Farmers, Botanist, Zoologist, etc.

Motivation(अभिप्रेरणा)


The main types are :

  1. Internal (intrinsic) (आंतरिक)

    Reason Internally (learning something)

  2. External (extrinsic) (बाह्य)

For Job & attain High score in exam



Motivation is National Highway to your Learning.


Given By – B.F. Skinner


Motivation Cycle












Bloom Taxonomy ब्लूम का वर्गीकरण

ब्लूम के वर्गीकरण के आधार पर ही कई मनोवैज्ञानिकों ने अपने परीक्षण किए और वह अपने परीक्षणों में सफल भी हुए। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि ब्लूम का यह सिद्धांत काफी हद तक सही हैं। बेंजामिन ब्लूम के वर्गीकरण (bloom taxonomy) में संज्ञानात्मक उद्देश्य, भावात्मक उद्देश्य, मनोशारीरिक उद्देश्य समाहित हैं।









Coginitive _ Bloom

Affective – David krathiod

Psychomotor/Conative - Thymson

6. Evaluationमूल्यांकन

5. Synthesis संश्लेषण

4. Analysis विश्लेषण

3. Application अनुप्रयोग

2. Comprehension बोध

1. Knowledgeज्ञान

संज्ञानात्मक उद्देश्य Cognitive Domain


1. ज्ञान (Knowledge) ज्ञान को ब्लूम ने प्रथम स्थान दिया क्योंकि बिना ज्ञान के बाकी बिंदुओं की कल्पना करना असंभव हैं। जब तक किसी वस्तु के बारे में ज्ञान (knowledge) नही होगा तब तक उसके बारे में चिंतन करना असंभव है और अगर संभव हो भी जाये तो उसको सही दिशा नही मिल पाती। इसी कारण ब्लूम के वर्गीकरण में इसकी महत्ता को प्रथम स्थान दिया गया।

2. बोध (Comprehensive)ज्ञान को समझना उसके सभी पहलुओं से परिचित होना एवं उसके गुण-दोषों के सम्बंध में ज्ञान अर्जित करना।

3. अनुप्रयोग (Application)ज्ञान को क्रियान्वित (Practical) रूप देना अनुप्रयोग कहलाता हैं प्राप्त किये गए ज्ञान की आवश्यकता पड़ने पर उसका सही तरीके से अपनी जिंदगी में उसे लागू करना एवं उस समस्या के समाधान निकालने प्राप्त किये गए ज्ञान के द्वारा। यह ज्ञान को कौशल (Skill) में परिवर्तित कर देता है यही मार्ग छात्रों को अनुभव प्रदान करने में उनकी सहायता भी करता हैं।

4. विश्लेषण (Analysis)विश्लेषण से ब्लूम का तात्पर्य था तोड़ना अर्थात किसी बड़े प्रकरण (Topic) को समझने के लिए उसे छोटे-छोटे भागों में विभक्त करना एवं नवीन ज्ञान का निर्माण करना तथा नवीन विचारों की खोज करना। यह ब्लूम का विचार समस्या-समाधान में भी सहायक हैं।

5. संश्लेषण (Sysnthesis)प्राप्त किये गए नवीन विचारो या नवीन ज्ञान को जोड़ना उन्हें एकत्रित करना अर्थात उसको जोड़कर एक नवीन ज्ञान का निर्माण करना संश्लेषण कहलाता हैं।

6. मूल्यांकन (Evalution)सब करने के पश्चात उस नवीन ज्ञान कमूल्यांकन करना कि यह सभी क्षेत्रों में लाभदायक है कि नहीं। कहने का तात्पर्य है कि वह वैध (Validity) एवं विश्वशनीय (Reliabelity) हैं या नहीं। जिस उद्देश्य से वह ज्ञान छात्रों को प्रदान किया गया वह उस उद्देश्य की प्राप्ति करने में सक्षम हैं कि नही यह मूल्यांकन द्वारा पता लगाया जा सकता हैं



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